मलाई
मलाई अनन्त गौड़ इस बात का ज़िक्र दरअसल मैंने आज से पहले कभी नही किया, अपने सबसे क़रीबी दोस्तों से भी नही। सच तो यह है कि एक अरसे से खुद से भी नहीं। और ना जाने क्यों पर मुझे शुमार है कि जब यह कहानी उन तक पहुंचेगी तब बहुत से चप्पल जूतों की एक श्रृंखला मेरा स्वागत करती नज़र आएगी। यह उन दिनों की बात है जब मैं कॉलेज के दूसरे साल में था और हर ताज़ा तरीन वयस्क नर कि तरह एक साथी की तलाश में इधर से उधर अर्ज़ियां लगा रहा था। जिस तरह हर कॉलेज में कुछ ही ऐसी खूबसूरत नवयुवतियां होती हैं जिनके किस्से, कहानियां, बातें और बेवकूफियां हर कोई जानने में रूचि रखता है, उस ही तरह हमारे यहाँ भी ऐसी चंद ही लड़कियां थीं और उन में से ही सबसे रोचक थी मलाई, जो सभी नौजवान युवकों के आकर्षण का केंद्र बिंदु थी. उसे इस नाम से बुलाने के पीछे एक बहुत ही सीधी सी वजह यह है कि जब पहली बार मैंने और मेरे सबसे घनिष्